हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत कामिल उज़ ज़ियारात से पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैछ
امام محمد باقر علیهالسلام:
«لَو یَعلَمُ النّاسُ ما فی زِیارَةِ قَبرِ الحُسَینِ (علیهالسلام) مِنَ الفَضلِ، لَماتُوا شَوقًا، وَ تَقَطَّعَت أنفُسُهُم عَلَیهِ حَسَراتٍ.»
इमाम मोहम्मद बाक़िर (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमायाः
"अगर लोग यह जान लें कि हज़रत हुसैन (अलैहिस्सलाम) की क़ब्र की ज़ियारत में कितनी बड़ी फजीलत है, तो वे शौक़ के मारे अपनी जान दे देंगे और उनकी रूहें उस ज़ियारत की हसरत में तड़प-तड़पकर बिछुड़ जाएँगी।"
कामिल उज़-ज़ियारात, पेज 143
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